भूगोल(Geography)
भूगोल (Geography)
भूगोल (Geography) - वह शास्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के ऊपरी स्वरुप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे पहाड़, महादेश, देश, नगर, नदी, समुद्र, झील, डमरुमध्य, उपत्यका, अधित्यका, वन आदि) का ज्ञान होता है। प्राकृतिक विज्ञानों के निष्कर्षों के बीच कार्य-कारण संबंध स्थापित करते हुए पृथ्वीतल की विभिन्नताओं का मानवीय दृष्टिकोण से अध्ययन ही भूगोल का सार तत्व है। पृथ्वी की सतह पर जो स्थान विशेष हैं उनकी समताओं तथा विषमताओं का कारण और उनका स्पष्टीकरण भूगोल का निजी क्षेत्र है। भूगोल शब्द दो शब्दों भू यानि पृथ्वी और गोल से मिलकर बना है।
भूगोल एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है। दूसरी ओर अन्य विज्ञानों से प्राप्त जिस ज्ञान का उपयोग भूगोल करता है, उसमें अनेक व्युत्पत्तिक धारणाएँ एवं निर्धारित वर्गीकरण होते हैं। यदि ये धारणाएँ और वर्गीकरण भौगोलिक उद्देश्यों के लिये उपयोगी न हों, तो भूगोल को निजी व्युत्पत्तिक धारणाएँ तथा वर्गीकरण की प्रणाली विकसित करनी होती है। अत: भूगोल मानवीय ज्ञान की वृद्धि में तीन प्रकार से सहायक होता है:
- (१) विज्ञानों से प्राप्त तथ्यों का विवेचन करके मानवीय वासस्थान के रूप में पृथ्वी का अध्ययन करता है।
- (२) अन्य विज्ञानों के द्वारा विकसित धारणाओं में अंतर्निहित तथ्य की परीक्षा का अवसर देता है, क्योंकि भूगोल उन धारणाओं का स्थान विशेष पर प्रयोग कर सकता है।
- (३) यह सार्वजनिक अथवा निजी नीतियों के निर्धारण में अपनी विशिष्ट पृष्ठभूमि प्रदान करता है, जिसके आधार पर समस्याओं का स्पष्टीकरण सुविधाजनक हो तो है।
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सर्वप्रथम प्राचीन यूनानी विद्वान इरैटोस्थनिज ने भूगोल को धरातल के एक विशिष्टविज्ञान के रूप में मान्यता दी। इसके बाद हिरोडोटस तथा रोमन विद्वान स्ट्रैबो तथा क्लाडियस टॉलमी ने भूगोल को सुनिइतिहासश्चित स्वरुप प्रदान किया। इस प्रकार भूगोल में 'कहाँ' 'कैसे 'कब' 'क्यों' व 'कितनें' प्रश्नों की उचित व्याख्या की जाती हैं। Geography (भूगोल) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-भू+गोल। यहाँ भू शब्द का तात्पर्य पृथ्वी🌎 और गोल शब्द का तात्पर्य उसके गोल आकार से है।
भूगोल की परिभाषा
- रिटर के अनुसार :- ‘‘भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।’’
- स्ट्राबो के अनुसार :- ‘‘भूगोल हमको स्थल एवं महासागरों में बसने वाले जीवों के बारे में ज्ञान कराने के साथ-साथ विभिन्न लक्षणों वाली पृथ्वी की विशेषताओं को समझाता है।’’
- टॉलमी के अनुसार :- ‘‘भूगोल वह आभामय विज्ञान है, जो कि पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता हैं।’’
- ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार :- ‘‘भूगोल वह विज्ञान है , जो पृथ्वी के धरातल , उसके आकार , विभिन्न भौतिक आकृतियों , राजनैतिक खण्डों , जलवायु तथा जनसंख्या आदि का विशद् वर्णन करता है।’’
- बुलरिज तथा ईस्ट के अनुसार :- ‘‘भूगोल में भूक्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता हैं’’ भूगोल का विषय क्षेत्र सम्पूर्ण पृथ्वी भूगोल का अध्ययन क्षेत्र है। जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल , वायुमण्डल और जैवमण्डल का परस्पर अध्ययन किया जाता है।
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भूगोल की प्रकृति एवं उद्देश्य
भूगोल की प्रकृति
भूगोल पृथ्वी के धरातल, इसके स्वरुप, भौतिक लक्षण, राजनीतिक विभाजन, जलवायु, उत्पादन, जनसंख्या, पर्यावरण और उसकी समस्याओं आदि के अध्ययन का विज्ञान है। धरातल पर निरंतर परिवर्तन होता रहता है, धरातल पर पाए जाने वाले विभिन्न लक्षणोँ मेँ गतिशील एवं अनेक प्रकार के जटिल संबंध पाए जाते हैं। पृथ्वी का धरातल विकासमान, अस्थिर तथा गतिशील है, इसी कारण भूगोल की प्रकृति, उसकी परिभाषा, उद्देश्य व पाठ्य सामग्री आरंभ से लेकर आज तक परिवर्तन शील रही है। कभी इस विज्ञान को स्थानों का अध्यन माना गया तो कभी प्रदेशों अथवा राजनीतिक इकाइयों का वर्णन करने वाला माना गया। भूगोल को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त है वैज्ञानिकों ने भूगोल को विज्ञान की श्रेणी में रखा है। यूरोप में जर्मनी के और अमेरिका के अनेक विश्वविद्यालयों 19वीँ शताब्दी मेँ अजैव पृथ्वी के स्वरुपों एवं तथ्यों के ज्ञान को ही भूगोल का विषय क्षेत्र माना गया। परन्तु शीघ्र ही जर्मनी और फ्रांस मेँ इस अजैव पृथ्वी के अध्ययन के साथ ही साथ मानव भूगोल मानवीय तथ्योँ को भी भूगोल के अंतर्गत माना जाने लगा। इसमेँ प्रादेशिक भूगोल का भी नए आधार पर अध्ययन किया जाने लगा। रिटर, हम्बोल्ट बोल्ट और रैटजेल का अनुसरण करते हुए 20 वी शताब्दी मेँ बोल के विभाजन को स्वीकार कर उसकी अनेक शाखाओं का विकास किया गया।
सन 1950 के पश्चात भूगोल के बहुआयामी एवं विविधता रुप विकास ने इसकी प्रकृति को प्रभावित किया। इसमेँ अब प्रदेशों एवं स्थानों की समालोचनात्मक व्याख्या, सांख्यिकी, एवं स्थूल आरेख, वायु फोटोग्राफी, दूर संवेदन (remote sensing), आचरण भूगोल, तंत्र संकल्पना, व्यावहारिक भूगोल का सभी क्षेत्रोँ मेँ उपयोग आदि भी सम्मिलित किए जाते हैं। वर्तमान मेँ भू-उपग्रह के माध्यम से पृथ्वी के विभिन्न संसाधनो, दिशाओं व मौसम का अध्ययन भी किया जाने लगा है। इस प्रकार भूगोल के क्षेत्र में निरंतर विकास होता जा रहा है।
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भूगोल का उद्देश्य
भूगोल विषय के अध्ययन का उद्देश्य जटिल रचना वाले भूतल संबंधी ज्ञान मेँ वृद्धि करना है। पृथ्वी के धरातल का अध्यन मानव के निवास के रुप प्रदेशो का अध्ययन उनके संसाधनो का मानव विकास के लिए अधिकतम उपयोग करना है इसका मुख्य उद्देश्य है।
भूगोल का उद्देश्य भूगोल की संपूर्णता की भावना से संबंधित है। यद्यपि एक भूगोलवेत्ता किसी एक विशेष अंग की रुचि रखते हुए भी वह पुर्णतः विज्ञान की ओर भी नहीँ झुक सकता। उसे अपनी रुचि की भूगोल की विशेष शाखा के विकास के साथ साथ संपूर्ण भूगोल से उसे सहसंबंधित मानने का व्यापक चिंतन ही हमेशा मस्तिष्क मेँ बनाए रखना पड़ेगा। अभिनव भूगोल मेँ भूगोल की संपूर्णता को मानव कल्याण से संबंधित मानते हुए ही उसे पूर्णता की संज्ञा दी जाने लगी है।
भूगोल की प्राचीन शाखाएं
आरम्भ में भूगोल विषय पाँच भागों में विभाजित था
1. खगोलीय भूगोल- इसमें पृथ्वी का सूर्य और चन्द्रमा से सम्बन्ध, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण, दिन और रात, आदि का अध्ययन किया जाता था।
2. यात्रा भूगोल- प्रारम्भिक दिनों में अनेक यात्राएँ की जाती थीं। ये यात्राएँ व्यापार, दूसरे देशों के सम्बन्ध में जानकारी तथा साम्राज्य के विस्तार के लिए की जाती थीं। आरम्भ में ये यात्राएँ स्थलमार्ग से होती थीं, बाद में नदियों और सागरीय मार्गों से होने लगी। अपनी इन यात्राओं का वर्णन अनेक यात्रियों ने लिखा है जो भूगोल की धरोहर है।
3. संसाधन भूगोल- मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग करता रहा है। खनिज पदार्थों की खोज, उत्तम चरागाह और कृषि प्रदेशों की खोज में मानव प्रारम्भ से ही उद्यत रहा है जिसने अनेक संस्कृतियों का विकास किया।
4. मानचित्रांकन- प्राचीन काल में मनुष्यों ने अपनी यात्राओं, संसाधन की खोज, आदि के लिए विश्व मानचित्रों का निर्माण किया, टालमी ने सर्वप्रथम विश्व का मानचित्र तैयार किया था। उसके पश्चात् अरबवासियों ने भूगोल के विकास में इन मानचित्रों का निर्माण कर योगदान दिया। जटिल तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए मानचित्रों, चार्टों, आलेखों तथा आरेखों का प्रयोग करने की बढ़ती हुई प्रवृति मानचित्रकला की व्यापकता का द्योतक है। यही मानचित्रकला भूगोल है।
5. गणितीय भूगोल- अरब और मिस्त्र में गणितीय भूगोल का विकास हुआ जिसके अन्तर्गत स्थानों की दूरी, दिन और रात की अवधि, अक्षांश तथा देशान्तर रेखाएं, आदि का अध्ययन गणितीय भूगोल के अन्तर्गत किया जाता था।
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2. भूगोल की वर्तमान शाखाएं (Modern Branches of Geography)
वर्तमान में भूगोल को अनेक प्रकार से विभाजित एवं उपविभाजित करने का प्रयास किया गया है। परम्परा के आधार पर भूगोल की दो प्रधान शाखाएँ निम्न हैं, जिनको पुनः अनेक प्रकार से उपविभाजित किया जा सकता है। ये हैं-
1.भौतिक भूगोल, 2.मानव भूगोल
भौतिक भूगोल
भौतिक भूगोल, भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक तथ्यों का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है। भौतिक भूगोल में स्थलमंडल (Lithosphere) , वायुमण्डल (Atmosphere) और जलमंडल (Hydrosphere) के भौतिक तथ्यों का अध्ययन सम्मिलित होता है-
(1) भूआकृति विज्ञान (Gemophology) :
यह भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें स्थलमंडल के भौतिक तत्वों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत भूआकृतियों (स्थल रूपो) की उत्पत्ति एवं विकास (अनाच्छादन, अपक्षय, अपरदन तथा निक्षेपण के प्रक्रमों द्वारा निर्मित स्थल रूपों) का विश्लेषण किया जाता है।
(2) जलवायु विज्ञान (Climatology) :
इसके अन्तर्गत जलवायविक तत्वों, उनकी उत्पत्ति एवं संघटन तथा प्राकृतिक पर्यावरण पर उनके प्रभावों और उससे सम्बन्धों का अध्ययन सम्मिलित होता है। इसकी दो उपशाखाएं हैं-
(क) भौतिक जलवायु विज्ञान (Physical Climatology):
जिसमें मौसम और जलवायु के तथ्वों तथा प्रक्रमों से सम्बन्धित अध्ययन किया जाता है, और
(ख) प्रादेशिक जलवायु विज्ञान (Regional Climatology) :
के अन्तर्गत विश्व के विशिष्ट प्रदेशों की जलवायु का अध्ययन सम्मिलित होता है।
(3) मृदा भूगोल (Pedogeography Or Soil Geography) :
भौतिक भूगोल की इस शाखा में मिट्टी के स्थानिक वितरण तथा उसके लक्षण, उपयोग आदि का अध्ययन किया जाता है।
(4) चिकित्सा भूगोल (Medical Geography) :
इसमें मानवीय बीमारियों, रोगों, दुर्भिक्ष आदि के स्थानिक वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों का अध्ययन भी सम्मिलित होता है। यह पर्यावरण भूगोल के अधिक समीप है जिसके कारण कुछ लोग इसे पर्यावरण भूगोल की ही एक शाखा मानते हैं।
मानव भूगोल
मानव भूगोल में मनुष्य तथा उसके पर्यावरण के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों तथा उससे उतपन्न भूदृश्यों एवं तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत समस्त मानवीय क्रियाओं एवं गुणों का भौगोलिक अध्ययन सम्मिलित होता है। मानव भूगोल की शाखाओं में आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल, राजनीतिक भूगाल, सामाजिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल आदि प्रमुख हैं-
(1) आर्थिक भूगोल (Economic Geography) :
आर्थिक भूगोल के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाओं के वितरण प्रतिरूपों तथा उन कारकों और प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है जो भूतल पर इन प्रतिरूपों के क्षेत्रीय विभेदशीलता (Areal differentiation) को प्रभावित करते हैं। आर्थिक भूगोल में मृदा, जल, जैव तत्व, खनिज, ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों, आखेट, मत्स्याखेट, पशुपालन, वनोद्योग, कृषि, निर्माण उद्योग, परिवहन, संचार, व्यापार एवं वाणिज्य आदि आर्थिक क्रियाओं तथा अन्य आर्थिक पक्षों एवं संगठनों के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है।
(2) जनसंख्या भूगोल (Population geography) :
इसमें जनसंख्या के वितरण, घनत्व, संघटन (आयु, वर्ग, लिंगानुपात, व्यावसायिक संरचना, साक्षरता, ग्रामीण नगरीय अनुपात आदि), जनसंख्या स्थानांतरण (प्रवास), जनसंख्या वृद्धि, जनसंख्या-संसाधन सम्बन्ध, जनसंख्या समस्या आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है।
(3) अधिवास भूगोल (Settlement geography) :
अधिवास भूगोल की दो उप-शाखाएं हैं - ग्रामीण भूगोल और नगरीय भूगोल। ग्रामीण भूगाल (या ग्रमीण अधिवास भूगोल) में ग्रामीण अधिवासों (ग्रामों) का और नगरीय भूगोल में नगरीय अधिवासों (नगरों) का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है।
(4) राजनीतिक भूगोल (Political geography) :
राजनीतिक भूगोल में रानीतिक रूप से संगठित क्षेत्रों (राष्ट्र् देशों) की सीमा, विस्तार, उनके विभिन्न घटकों, उप-विभागों, शासित भू-भागों, संसाधनों तथा आंतरिक एवं बाह्य राजनीतिक सम्बन्धों आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है।
(5) सामाजिक भूगोल (Social geography) :
इसके अन्तर्गत सामाजिक वर्गों, सामाजिक प्रक्रियाओं (अंतःक्रिया), सामाजिक विशेषताओं, सामाजिक संगठनों, सामाजिक समस्याओं आदि का भौगोलिक अध्ययन सम्मिलित होता है।
(6) सांस्कृतिक भूगोल (Cultural geography) :
सांस्कृतिक भूगोल मानव भूगोल की एक शाखा है जो सांस्कृतिक तथ्यों के अध्ययन से सम्बन्धित है किन्तु कभी-कभी इसे मानव भूगोल का समानार्थी भी माना जाता है विशेष रूप से जब मानवीय के स्थान पर सांस्कृतिक शब्दाबली का प्रयोग किया जाता है। इसमें मानव विकास से सम्बन्धित सांस्कृतिक प्रक्रियाओं के भौगोलिक विश्लेषण पर विशेष बल दिया जाता है।
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Very good
ReplyDeleteEse or writing kariye
ReplyDeleteBadiya hai
ReplyDeleteMind blowing
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ReplyDeleteVery good
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ReplyDeleteLajabab
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ReplyDeletevery good work
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